सिम्स भर्ती घोटाला मामला-
शिकायतकर्ता ने थोक में दिया भर सबूत लेकर बयान देने एंटी करप्शन ब्यूरो कार्यालय पहुंचे
बिलासपुर। सिम्स भर्ती घोटाला मामले में शिकायतकर्ता संजीव पांडाल ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) कार्यालय बयान देने पहुंचे। इस दौरान घटोला संबंधी सबूत भी है। हालंकी पहले दिन उनका बयान दर्ज नहीं हो सका। एसीबी के अधिकारी से बातचीत के दौरान उन्होंने घटना के संबंध में जानकारी दी और पूरी भर्ती प्रक्रिया को फर्जी बताया। साथ ही चयन समिति के सभी अधिकारी और फर्जी नौकरी करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की बात कही।
छत्तीसगढ आर्युविज्ञान मेडिकल कॉलेज सिम्स में साल 2012,13 में तृतीय व चतुर्थ वर्ग के लिए 316 लोगों की भर्ती हुई थी। भर्ती मे कई तरह की गड़बड़ी पाई गई। शिकायतकर्ता संजीव पांडाल ने पूरे भर्ती पक्रिया फर्जी होने का दावा कर शासन-प्रशासन से शिकायत कर जांच करने मांग की थी। प्रदेश की सबड़े बड़े भर्ती घोटाला होने के कारण लोकआयुक्त रायपुर ने एसआईटी जांच कराई। जिसमें फर्जीवाड़ा होने का स्पष्ट सबूत मिले। इसके आधार पर शासन ने भ्रष्टाचार को उजागर करने और दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए वहां ईओडब्ल्यू (अपराध अन्वषण ब्यूरो रायपुर) को भेजा गया। जहां पर प्रदेश के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी उप पुलिस महानिदेशक रायपुर से कार्रवाई के लिए बिलासपुर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) मे भेजा गया है। बिलासपुर एसीबी ने शिकायतकर्ता संजीव पांडल को समंस जारी कर बयान दर्ज कराने बुलाया। गुरुवार को दोपहर शिकायतकर्ता संजीव पांडल एसबी कार्यालय पहुंचे। उन्होंने अधिकारी से मुलाकात की। लेकिन पहले दिन बयान दर्ज नहीं हो सका। एसीबी के अधिकारी ने दूसरे दिन ऑफिस के निर्देश दिए हैं। शिकायतकर्ता ने बताया कि बातचीत के दौरान एसीबी के अधिकारी ने भी सिम्स भर्ती घोटाला को राज्य सबसे बड़ा घोटाला बताया। गंभीरता से इस मामले जांच कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। यहां तक कि अधिकारी ने एफआईआर दर्ज होने की बात कही है।
सिम्स भर्ती घोटला में स्थानीय प्रशासन फिर लोकायुक्त इसके बाद एसआईटी की जांच पूरी कर ली। तीनों जांच में फर्जी भर्ती की पुष्टि हुई है। इसके बावजूद शासन-प्रशासन और न ही सिम्स प्रबंधन ने दोषियों कोई कार्रवाई नहीं की है। फर्जी कर्मचारियों से लगातार काम लिया जा रहा है। शासन को आर्थिक रुप से चूना लगाया जा रहा है।
शिकायतकर्ता संजीव पांडल ने बताया कि सिम्स फर्जी भर्ती से लेकर अब तक सिम्स में चार डीन बदल गए। लेकिन किसी ने कर्मचारियों को नियमितीकरण करने हिम्मत नहीं जुटाई। चारों डीन ने हर बार जांच और शासन के नियम का हवाला देकर बचते रहे। किसी ने कानून को अपने हाथ में नहीं लिया। सिम्स के पांचवा डीन डॉ. केके सहारे को बनाया गया है। इस बार डॉ. केके सहारे ने नियम का हावाला देकर कर्मचारियों का नियमितीकरण कर रहे हैं।l
सिम्स के पूरे भर्ती ही फर्जी हुआ है। इसलिए सभी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे कर्मचारियों को नियमितीकरण करने वाले सिम्स के डीन के खिलाफ भी एसीबी में शिकायत करुंगा और नामजद एफआईआर दर्ज करने मांग करुंगा। क्योंकि इनके द्बारा अपराध में शामिल अधिकारी व कर्मचारी को सह दिया जा रहा है। संजीव पांडल, शिकायतकर्ता।