सरोज पांडे के खिलाफ चुनाव याचिका,हाई कोर्ट ने चुनाव याचिका में गवाहों के आने के बाद भी प्रतिपरीक्षण न करने पर , सरोज पाण्डेय को 6 हजार रूपये जमा करने का दिया आदेश।

बिलासपुर- हाई कोर्ट ने चुनाव याचिका पर याचिकाकर्ता लेखराम और दो अन्य गवाह को प्रति गवाह 2 हजार रूपये आने जाने का खर्च मिलेगा अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को गवाहों का प्रतिपरीक्षण होगा 2018 में हुये राज्यसभा चुनाव में निर्वाचित सांसद सरोज पाण्डेय के चुनाव को कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू चुनाव याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी । नियमों के मुताबिक चुनाव याचिकाओं का निपटारा 6 माह के भीतर करना होता है परन्तु पिछले डेढ़ साल से कोरना काल होने के कारण प्रकरण में गवाही शुरू नहीं हो पाई थी । आज की सुनवाई लेखराम साहू और दो अन्य गवाह विन्सेंट डिसूजा और अमोल मालूसरे के प्रतिपरीक्षण के लिये नियत थी और इसके लिये इन गवाहों का शपथपत्र 28 सितम्बर मंगलवार को ही प्रस्तुत किया जा चुका था । आज सुनवाई के दौरान लेख राम साहू के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और हिमांशु शर्मा ने जस्टिस सैम पी कोशी की बेंच उक्त तीनों गवाहों के प्रतिपरीक्षण के लिये सुबह से ही उपस्थित होने की जानकारी दी । इस पर बैंच ने प्रतिपरीक्षण प्रारंभ करने के लिये सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता अविनाश चन्द्र साहू को कहा । सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता ने प्रतिपरीक्षण करने में असमर्थता व्यक्त करते हुये और समय मांगा । याचिकाकर्ता की ओर से यह बताया गया कि मंगलवार को ही शपथपत्र की प्रतिलिपि उपलब्ध करा दी गई थी और गवाह भी धमतरी और दुर्ग से आ चुके है । इस परिस्थिति में जस्टिस कोशी ने कहा कि तीन दिन से अधिक का समय आप को शपथ पत्र मिलने के बाद हो चुका है , अगर आज प्रतिपरीक्षण नहीं करना था तो पूर्व से ही याचिकाकर्ता को इस संबंध में सूचना दी जानी चाहिये थी । आज उनका आना व्यर्थ हो गया अतः उन्हें खर्चे की भरवाई होनी जरूरी है । सरोज पाण्डेय के अधिवक्ता ने क्षमा मांगते हुये अधिक कॉस्ट न लगाने का अनुरोध किया इस पर बेंच के द्वारा प्रति गवाह दो – दो हजार रूपये , कुल छः हजार रूपये प्रतिवादी सरोज पाण्डेय को जमा करने के निर्देश दिये । गौरतलब है कि लेखराम साहू द्वारा दायर चुनाव याचिका में सरोज पाण्डेय द्वारा शपथ पत्र में बैंक अकाउंट को छुपाने और निवासी स्थान के बारे में गलत पते की जानकारी देने जैसे कई आरोप लगाये गये । इसके साथ – साथ उनके निर्वाचन को इस आधार पर भी चुनौती दी गई है कि उनके प्रस्तावक समर्थकों में बहुत से विधायक लाभ के पद पर होने के कारण मतदान करने के लिये पात्र नहीं थे और उनका नामांकन पत्र पूर्व में ही रद्द किया जाना चाहिये था । अब मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर रखी गई है उस दिन इन सभी गवाहों का प्रतिपरीक्षण किया जायेगा ।

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