बिलासपुर- प्रदेश के खाद्य मंत्री के साथ उनके समर्थक और जिल्रे के खाद्य अधिकारी ने कैसा मजाक किया।दरअसल खाद्य मंत्री सीधे साधे है।इसलिए उनके साथ मजाक करने की हिम्मत उनके समर्थक और खाद्य मंत्री ने दिखाई, खाद्य मंत्री और उनके परिवार को संतोष भुवन का आलुगुण्डा बता कर ठेले का नकली और खराब आलुगुण्डा ला कर खिला दिया । उनके समर्थक को छोड़कर बाकी लोगो ने भी खाया सबका गाला जलने लगा ,बाकी लोगो ने मंन्त्री को बताया कि ये संतोष भुवन का आलुगुण्डा नही है लेकिन खाद्य अधिकारी और समर्थको ने झूठ बोलकर खाद्य मंत्री को नकली और खराब आलुगुण्डा खिला दिया। मंन्त्री के इस अपमान के समर्थन में उनके समर्थक खाद्य मंत्री के खिलाफ एक शब्द नही बोले ।अगर समर्थक असली रहते तो जरूर अपने आदिवासी मंन्त्री के लिए अधिकारी से भिड़ जाते लेकिन नकली आलुगुण्डा की तरह नकली समर्थक चुप रहे और अभी तक चुप रहे जबकि उनके अपने खिलाफ अगर समाचार में कुछ छप जाए तो उसके खिलाफ कानूनी नोटिस देने की बात करने लगते है।क्योकि बात खुद के सम्मान की ,अब अपमान तो मंन्त्री का हुआ है तो इससे उनको क्या लेना देना मंन्त्री का अपमान होता हो तो हो।उनको तो अपने काम धंधे से मतलब। दरअसल ये नकली आलुगुण्डा ने समर्थको की पोल खोल दी और मंन्त्री को बताया कि आपके समर्थक नकली है। और खाद्य अधिकारी की हिम्मत देखे की एक आदिवासी मंन्त्री को समर्थक के सात उनके समर्थक के साथ मिलकर नकली और खराब आलुगुण्डा खिला दिया।जो अधिकारी समर्थको के साथ मिलकर मंन्त्री के साथ फ्रॉड कर सकता है ।वो आम जनता के साथ कैसा बरताव करता होगा।
खाद्य मंन्त्री की सज्जनता का फायदा उठाकर उनके समर्थकों उनकी छवि खराब करना चाहते है।ऐसे छद्म समर्थक से मंन्त्री को दूरी बनानी चाहिए।जो अपने सम्मान के लिए लड़े और बताए कि वो आहत है लेकिन मंन्त्री से अपमान के समय चुप रहे और जिल्रे के खाद्य अधिकारी की प्रशंसा करे ,कन्हि उनके समर्थक किसी हिडन एजेंडे में तो काम नही कर रहे ये मंन्त्री जी को समझना होगा।

