सेवाकाल के दौरान शासकीय कर्मचारी से नहीं की जा सकती वसूली ।

बिलासपुर,ग्राम एवं पोस्ट-सुरडोंगर, जिला-बालोद निवासी सत्यनारायण सोनेश्वर तहसील-डौण्डी, जिला-बालोद में राजस्व विभाग में राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ हैं। उनके सेवाकाल के दौरान कलेक्टर, बालोद द्वारा इस आधार पर की उनकी सेवापुस्तिका संभागीय संयुक्त संचालक, कोष लेखा एवं पेंशन कार्यालय, दुर्ग में जांच के लिये भेजा गया था एवं सेवाकाल के दौरान अधिक वेतन भुगतान के आधार पर कलेक्टर, बालोद द्वारा सत्यनारायण सोनेश्वर के विरूद्ध वसूली का आदेश जारी कर दिया गया। उक्त वसूली आदेश से क्षुब्ध होकर सत्यनारायण सोनेश्वर द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वातिरानी सराफ के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर कर वसूली आदेश को चुनौती दी गई। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वातिरानी सराफ द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि पूर्व में  सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ पंजाब विरूद्ध रफीक मसीह के वाद में वर्ष 2015, सुप्रीम कोर्ट द्वारा थॉमस डेनियल विरूद्ध स्टेट ऑफ केरला, हाईकोर्ट बिलासपुर की डिवीजन बेन्च द्वारा छत्तीसगढ़ शासन एवं अन्य विरूद्ध एल. आर. ध्रुव के वाद में यह न्यायदृष्टांत पारित किया गया है कि किसी भी तृतीय श्रेणी शासकीय अधिकारी/कर्मचारी से, इसके साथ ही वसूली आदेश जारी किये जाने के दिनांक से पूर्व के 05 (पांच) वर्षों में शासकीय अधिकारी/कर्मचारी को वेतनवृद्धि गलत तरीके से जुड़ जाने के कारण उसे अधिक वेतन भुगतान का हवाला देकर शासकीय अधिकारी/कर्मचारी से किसी भी प्रकार की अधिक भुगतान की राशि की वसूली नहीं की जा सकती है। उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् रिट याचिका को स्वीकार कर माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा रफीक मसीह, थॉमस डेनियल के वाद में पारित न्यायदृष्टांतों के आधार पर याचिकाकर्ता राजस्व निरीक्षक के विरूद्ध जारी वसूली आदेश को निरस्त कर कलेक्टर, बालोद को यह निर्देशित किया गया कि वे याचिकाकर्ता से वसूल की गई राशि का तत्काल भुगतान करें।

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