बिलासपुर- मोर घर कभी भी गिर जाहि साहब कभी भी मोर जान जा सकत हे ,कोई आसरा नई हे अकेल्ला रथंव एक ठी आवास मांगत हों दस साल होंगे ग्राम सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक गयेव कोनो मोला आवास नही देत हे रोजी मजूरी करके अपना पेट ल चलात हों ,मोर माटी के घर टूटत है कोनो दिन जीव हा चल दिही बोलते बोलते उषा की आंखों से आंसू बहने लगते है मैले कुचले अंचल से किसी तरह आंसुओं को रोकने का प्रयास करती है लेकिन सिस्टम से भरे दर्द के आंसू अंचल से रुकने को तैयार नही थे।साहब नियम कायदे से ही सिस्टम नही चलता मानवता भी कोई चीज होती है।मस्तूरी के कोसमडीह की रहने वाली उषा खांडे दोनो हांथ में धूल से सना झोला लिए जिला पंचायत पहुंची अंदर विकास जनप्रतिनिधि और अधिकारी विकास की चर्चा कर रहे थे तब एक गरीब महिला मस्तूरी से पैदल केवल आवास मांगने आई थी,भूखी प्यासी धूप से तपकर आई इस गरीब महिला की विकास की चर्चा करने वालो से इतनी से दरख्वास्त थी कि उस गरीब को एक आवास दिला दिया जाए ,किसी ने क्या विकास किया इससे मतलब नही साहेब इस गरीब ऊषा खांडे को तो बस छत नसीब हो जाती तो अच्छा लगता ,सवाल इस बात का है कि सब काम कर रहे है तो गरीब विकास के शुरुवाती काम से कैसे लाभ नही मिली ,मस्तूरी के जनप्रतिनिधियों के लिए शर्म की बात है विधायक कृष्ण मूर्ति बांधी अपना विधानसभा छोड़कर शहर में रहते है इसके लिए वंहा की जनता बब्बी जिम्मेदार है जो ऐसे लोगो को जीता देती है। उम्मीद करते है इस बार ऊषा को उषा दिखना चाहिए ताकि उसके आंसू रुक जाए ।मस्तूरी जनपद के निष्क्रिय सीईओ और कोसंडीह के निष्क्रिय सचिव को इस मामले मे तत्काल बर्खास्त करना चाहिए जो सरकार की आंखमे धूल झोंक रहे है।