एकल रूप में देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी व कोल इण्डिया की सब्सिडीएरी एसईसीएल ने दिल को छू लेने वाली पहल करते हुए अपने एक कोयला खनिक की 2 वर्ष की मासूम बच्ची के इलाज के 16 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है।
बिलासपुर- एसईसीएल के दीपका कोयला क्षेत्र में कार्यरत ओवरमैन सतीश कुमार रवि की बेटी सृष्टि रानी ‘स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी’ (एसएमए) नामक एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है। अमूमन छोटे बच्चों में होने वाली इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं और धीरे-धीरे यह बीमारी प्राणघातक होती चली जाती है। इसका इलाज बेहद ही महंगा है और इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन ‘जोलजेंस्मा’ की कीमत 16 करोड़ रुपये है। अब कोल इंडिया ने अपने परिवार की बिटिया के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है।
एसईसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया “सतीश जैसे कर्मी को अपनी बच्ची के इलाज के लिए इतनी ऊंची कीमत पर इंजेक्शन खरीद पाना संभव नहीं था। कम्पनी ने न सिर्फ अपने परिवार की बेटी की जान बचाने के लिए यह बड़ी पहल की है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों और दूसरे संस्थानों के लिए भी एक मिसाल पेश की है, जो इस धारणा पर कार्य करते हैं कि कर्मी और उनका परिवार उनकी सबसे बड़ी पूंजी है और उनकी जिंदगी बचाना संस्थान का प्राथमिक कार्य है।”
गौरतलब है कि एसईसीएल की यह पहल ऐसे समय में आई है, जब देश भर में कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियों में कार्यरत कर्मी बिजली बनाने के लिए कोयले की बढ़ती मांग के मद्देनजर जरूरी सप्लाई सुनिश्चित किए जाने हेतु दिन-रात अनवरत कार्य में जुटे हैं।
सृष्टि रानी के इलाज के लिए विदेश से आयात कर 16 करोड़ रुपये का ‘जोलजेंस्मा’ इंजेक्शन दिया जाना है। एम्स, दिल्ली में इलाज के बाद सृष्टि फिलहाल अपने पिता के कार्यस्थल दीपका के आवास में रह रही है, जहां उन्हें पोर्टेबल वेंटिलेटर पर रखा गया है।