बिलासपुर- कवर्धा का मामला सुस्त प्रशासन और जिला पुलिस का का उदाहरण है।जिल्रे में कमजोर कप्तान की तैनाती के चलते ऐसे मामले खड़े हो रहे । कवर्धा जिला प्रशासन मामले के बड़े होने का इंतज़ार करता रहा ऐसी कमरे से एसपी कलेक्टर शुरुवाती दौर में क्यो नही मैदान में आये अधिकारियों ने मामले के बड़ा होने के इंतजार किया । अब भी अधिकारी मामले को संभाला नही पा रहे है।कन्हि न कन्हि जिला प्रशासन की कमजोरी है जिसके कारण सिरफुटौव्वल की स्थिति बनी ऐसे मामलों आपराधिक तत्वो से प्रशासन को कस कर निपटना चाहिए।जिस तरह का घटना क्रम हुआ उससे साफ है कि जिले कलेक्टर एसपी ऐसी कमरे से प्रशासन कर रहे कमरे से बाहर नही निकल रहे है अगर शहर इर जिल्रे का दौरा करते रहते तो शायद ये स्थिति नही पैदा होती ।इस मामले में जो कुछ हुआ वो अच्छा नही हुआ ,नगर निगम को सार्वजनिक स्थानोमे झंडे, बैनर पोस्टर , को कड़ाई से रोकना होगा नही तो एओस स्थिति पहले भी होती रही है आगे भी पैदा होगी ।

