बिलासपुर-हमारा देश एक लोकतांत्रिक संवैधानिक प्रजातंत्र है और जैसा की पूरे विश्व में इस तरह की सरकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर और हैरिटेज का संरक्षण करेंगी , वैसी ही अपेक्षा छत्तीसगढ़ शासन से भी है । मुझे ज्ञात हुआ है कि बिलासपुर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत स्वतंत्रता पूर्व निर्मित शासकीय भवन तहसील कार्यालय और पुलिस कोतवाली को तोड़ कर नये भवन बनाने का निर्णय लिया गया है । उक्त निर्णय सांस्कृतिक धरोहर और हैरिटेज को संरक्षित करने की अवधारणा के विपरीत है । यह और आश्चर्य जनक और आपत्ति जनक तथ्य है कि तहसील कार्यालय और पुलिस कोतवाली दोनों ही भवनों के प्रांगण में इतनी पर्याप्त भूमि मौजूद है कि बिना ऐतिहासिक भवन को तोड़े नये भवनों का निर्माण कर अपनी आवश्यकता पूरी की जा सकती है । इसे देखते हुये मेरा यह मानना है कि बिलासपुर तहसील कार्यालय और पुलिस कोतवाली दोनों ही भवनों में न तोड़ा जाये और इन्हें संरक्षित किया जाये तथा रिक्त भूमि नये भवनों का निर्माण किया जाये । उक्त परिप्रेक्ष्य में यह देखते हुये कि पूरे राज्य में ऐसी कई शासकीय ईमारते होंगी जिनका निर्माण स्वतंत्रता पूर्व किया गया है , आज आजादी के 75 वें वर्ष के दौरान मेरी आपसे अपेक्षा है कि कृपया इन सभी इमारतों को संरक्षित करने के आवश्यक दिशा निर्देश सभी कलेक्टरों को दिये जाये । यह भी उल्लेखनीय है कि आपकी कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली के सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर अपना विरोध इसी भावना के तहत दर्ज कराया है कि ऐतिहासिक शासकीय ईमारतों को संरक्षित किया जाना चाहिये ।

