बिलासपुर,*प्रदेश सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग के सभी युवा साथियों को जय जोहार जय आदिवासी।
आप सभी युवा साथियों को सूचित करते हुए नए शासन सत्ता आए हुए एक वर्ष अधिक हो गया है समाज ने पूरा मौका नए शासन को दिया परंतु सकारात्मक और अपेक्षाकृत किसी प्रकार का समाज के अनुरूप निर्णय में सत्ता पक्ष की तरफ से नहीं दिख रहा है और विपक्ष भी आदिवासियों के मामले में मौन है ऐसी स्थिति में युवा प्रभाग का दायित्व ज्यादा बनता है हर एक समाज विरोधी कार्यों का समाज संगठन खुलकर अपनी बातें रखें हम लोग भी कुछ अधिक अपेक्षा रख कर कुछ दिन शांत हो गए थे। इस बीच में बहुत सारे चुनाव प्रदेश में हुए जिससे सभी समाज प्रमुख गण व्यस्त रहे पर अब समय आ गया है। शासन सत्ता को हमारे संवैधानिक मामलों को लेकर खुलकर अपनी बातें रखें और हमारे को नहीं सुना जाता तब अपने संगठन के अनुरूप आंदोलन की तरफ रुख करें सभी जिले संभाग में जल्द बैठक वह वर्चुअल मीटिंग रखकर रणनीति बनाकर सभी युवा साथी तैयार रहे। अपने हक अधिकार की लड़ाई के लिए जल्द निर्णय लेकर पूरे प्रदेश में कलेक्टर के माध्यम से हमारे सभी 23 सूत्री व अन्य स्थानीय विषयों मुद्दों को लेकर शासन को बात करने अन्यथा विरोध के लिए तैयार रहने। हेतु उलगुलान करेंगे। युवाओं की पाती बेहद गंभीर है अन्दर ही अंदर असंतोष की आग तेज हो गई है कुछ आदिवासी नेताओं की गलती के कारण युवाओं में आक्रोश है इसको संभालना बेहद जरूरी है आदिवासीयो के प्रदेश में अपनी उपेक्षा से आक्रोश पनप रहा है कुछ छोटी छोटी बाते है जिस ध्यान नहीं दिया गया तो पाती किए चिंगारी भयावह रूप ले लेगी समय रहते इस पर ध्यान देने की जरूरत है। बंदूक और तोप के सामने तीरकमान से अंग्रेजों से लोहा लेने वाले गुण्डाधुर, बिरसा मुंडा और वीर नारायण, जयपाल सिंह के वंशज हमेशा से अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे है वीर आदिवासियों का गौरवशाली इतिहास राजा महाराज से कहीं ज्यादा मजबूत और सुदृढ़ है इनकी भावना को आहत करने से बचना चहिए अपनी धरती में दूसरे प्रदेश के लोगों को जगह देने वाला आदिवासी समजा अगर कुछ बोल नहीं रहा तो इसका मतलब ये कतई नहीं निकाला जाना चाहिए की ये कमजोर हो गए है। समाज ने बस्तर में नक्सल हिंसा के बीच शांति का भी स्वागत किया है इससे नक्सल के नाम हिंसा और आदिवासियों के नुकसान को भी राहत मिली है , युवा प्रभाग के अध्यक्ष सुभाष परतें ने बस्तर में शांति से समाज के लोगो को आगे बढ़ने अपना जीवन स्तर उठाने में मदद मिलेगी , इसके लिए समाज भी सहयोग दे सकता है, नक्सल हिंसा से सबसे ज्यादा आदिवासी समाज को नुकसान होता है गरीब निरह दोनों तरह से नुकसान उठाते है लेकिन शांति वार्ता और कार्रवाई से बस्तर में शांति आ रही है।