मुख्यमंत्री ने ‘झीरम श्रद्धांजलि दिवस‘ पर शहीदों को अर्पित की विनम्र श्रद्धांजलि

दंतेवाड़ा और बस्तर विश्वविद्यालय में शहीद महेन्द्र कर्मा की प्रतिमा का किया गया अनावरण
बस्तर विश्वविद्यालय और स्वर्गीय बलीराम कश्यप स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्व हॉस्पिटल का नामकरण शहीद श्री महेन्द्र कर्मा के नाम पर किया गया
बिलासपुर-मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि झीरम के सभी बेगुनाह शहीदों और घायलों को न्याय ज़रूर मिलेगा, जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, छत्तीसगढ़ सरकार चैन से नहीं बैठेगी। झीरम के शहीदों को न्याय दिलवाने के लिये हम कृतसंकल्पित हैं और हम इसके लिये अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। चाहे इसमें कितनी ही बाधायें आएं, छत्तीसगढ़ सरकार झीरम घाटी मामले की तह तक ज़रूर जायेगी। मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में ‘झीरम श्रद्धांजलि दिवस‘ के अवसर पर झीरम घाटी में 25 मई 2013 को हुए नक्सल हमले में शहीद नेताओं और जवानों को नमन करते हुए उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। झीरम घाटी के नक्सल हमले में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता श्री विद्याचरण शुक्ल नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा, उदय मुदलियार, योगेंद्र शर्मा सहित अनेक नेतागण और सुरक्षा बलों के जवान शहीद हो गए थे। बघेल ने शहीदों के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। शहीदों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। मुख्यमंत्री बघेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दंतेवाड़ा और जगदलपुर में शहीद श्री महेंद्र कर्मा की प्रतिमा के अनावरण के कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर बस्तर विश्वविद्यालय और जगदलपुर के डिमरापाल स्थित स्वर्गीय श्री बलिराम कश्यप स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्व अस्पताल का नामकरण शहीद महेन्द्र कर्मा के नाम पर किया गया। कार्यक्रम में दंतेवाड़ा से उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री कवासी लखमा, विधायक श्रीमती देवती कर्मा, जगदलपुर से बस्तर सांसद श्री दीपक बैज और विधायक रेखचंद्र जैन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यसभा सांसद श्री पी.एल. पुनिया और छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल के सदस्य, विभिन्न जिलों से विधायक तथा जनप्रतिनिधि इस कार्यक्रम से जुड़े। मुख्यमंत्री निवास में विधायक मोहन मरकाम ,मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि 25 मई की झीरम घाटी की हिंसक घटना हम सबके दिलों में एक फांस की तरह चुभी हुई है। यह दिन छत्तीसगढ़, भारत और हमारे लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है,
