खतरे में 296 डॉक्टरों की डिग्री, शासन ने दस दिन में दिया नौकरी ज्वाईन करने का आदेश,अन्यथा रजिस्ट्रेशन रद्द होगा ,कोरोना में सरकार ने जनता के लिए कड़े फैसले।

बिलासपुर- स्वास्थ्य विभाग ने एमबीबीएस उत्तीर्ण 296 नए डॉक्टरों की पदस्थापना की है। इन नए डॉक्टरों को प्रदेश के विभिन्न शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, जिला चिकित्सालयों, मातृ एवं शिशु अस्पतालों, सिविल अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ किया गया है। प्रदेश भर में बड़ी संख्या में इन डॉक्टरों की नियुक्ति से वर्तमान कोविड-19 संकट के दौरान संक्रमितों के इलाज और प्रबंधन में मदद मिलेगी। नवपदस्थ सभी डॉक्टरों को दस दिनों के भीतर अपने-अपने पदस्थापना वाले अस्पतालों में कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा स्नातक प्रवेश नियम के तहत इनकी पदस्थापना एम.बी.बी.एस. प्रवेश के समय निष्पादित शासकीय/ग्रामीण सेवा के अनुबंध के अनुसार संविदा आधार पर दो वर्ष के लिए की गई है।

छत्तीसगढ़ चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा स्नातक प्रवेश नियम के तहत अनुबंधित डॉक्टरों को एम.बी.बी.एस. प्रवेश के समय निष्पादित अनुबंध के अनुसार संविदा आधार पर दो वर्ष की शासकीय सेवा करना अनिवार्य है। बंध-पत्र (Bond) के उल्लंघन पर बंध-पत्र की राशि की वसूली, विश्वविद्यालय से अंतिम डिग्री प्रदान नहीं किए जाने और राज्य मेडिकल काउंसिल में पंजीयन नहीं किए जाने के साथ ही पाठ्यक्रम अवधि के दौरान शासन द्वारा भुगतान की गई संपूर्ण छात्रवृत्ति/शिष्यवृत्ति की राशि की वसूली भू-राजस्व के बकाया के रूप में किए जाने का प्रावधान है।

अति आवश्यक संधारण तथा विछिन्नता निवारण अधिनियम, 1979 (एस्मा एक्ट, 1979) एवं एपिडेमिक एक्ट, 1897 के कण्डिका-03 में निहित प्रावधानों के तहत नवपदस्थ डॉक्टरों द्वारा निर्धारित समय-सीमा में अपने पदस्थापना स्थान में कार्यभार ग्रहण नहीं किए जाने पर उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। उनसे अनुबंध की राशि की वसूली भू-राजस्व के बकाया राशि की भांति करने के साथ राज्य मेडिकल बोर्ड में पंजीयन रद्द करने को कार्यवाही भी की जाएगी।

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