दिनदहाड़े लूट और रात में चोरी कंहा है पुलिसिंग,बंद कमरे में नेट के जरिये भर अपराधियों पर नही लग सकती लगाम,मस्तूरी चोरी की वारदात से लगता है , घर वालो की जान बच गई।

बिलासपुर- आई जी डाँगी बोल चुके सायबर के भरोसे थानेदार और एसपी न रहे पुलिसिंग दिखनी चाहिए लेकिन ऐसा हो नही रहा है। लूट और चोरी की वारदात बढ़ी है।दिनदहाड़े लूट का मतलब पुलिस गयाब है।तभी तो अपराधी बेखौफ दिन को भी लूट कर रहे है अपराधियों हौसला पुलिसिंग नही होने के कारण बढ़ा है।ठाँवदारो का अपने स्टाफ पर कंट्रोल नही दिख रहा है । लगता है ड्यूटी छोड़कर केवल साहब की खातिरदारी और जुगाड़ में लगे है।आम आदमी अगर दिन दहाड़े लूट का शिकार होगा तो स्वाभाविक है शासन प्रशासन के खिलाफ आक्रोश खड़ा होगा।लोग अपने आप को असुरक्षित समझेंगे। लोग घर से निकलेंगे नही पुलिस का ही नुकसान है चालान कन्हा से काट पाएंगे।कम सेकम इस नजरिए सभी भी पुलिस को लोगो की रक्षा करनी चाहिए। सकरी में लूट ,सीपत में लूट ,मस्तूरी चोरी इसके मतालबन पैट्रोलिंग हो रही है न थाने के सामने चेकिंग खासकर ग्रामीण थाने में ।कप्तान को कड़ाई करना पड़ेगा एक एक सिपाही का रोज का ड्यटी का हिसाब थानेदार से लेना होगा अन्यथा थानेदारों का क्या बट्टा तो कप्तान की इमेज पर लगेगा।

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