बिलासपुर- प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया जब कह रहे है कोई विवाद नही सब ठीक है तो आदिवासी विधायक को नोटिस क्यो पार्टी में प्रजातंत्र है कि नही आदिवासी विधायक ने कुछ बोल दिया तो मामला सम्भल भी तो गया। अगर कुछ हो जाता तो पुनिया के पास सिवाय अफसोस जताने के कुछ रह नही जाता ,आइएएस रहे संगठन के जिम्मेदार पद पर बैठे पुनिया को का ये फैसला पार्टी और आदिवासी विरोधी है। पीएल पुनिया का नोटिस वाला फैसला हाईकमान की जानकारी के बिना दिखता है। पुनिया के नोटिस से उनकी संकीर्ण मानसिकता दिख रही है ।विधायक बृहस्पति सिंह ने अपनी बात कही थी मामला शांत हो गया था तो प्रदेश प्रभारी ने इसको हवा क्यो दी ? क्या पुनिया भी सरकार को विवादों डाल कर रखना चाहते है। क्या पार्टी और सरकार की छवि उनको अच्छी नही लग रही, पुनिया का फैसला कंही छत्तीसगढ़ के आदिवासी और जनता का अपमान भी है। संगठन के मुखिया होने के नाते सुलझाने की बजाय पुनिया उसे उलझा गए ।इससे पुनिया पार्टी और सरकार के प्रति भवन भी सामने आ गई आखिर पुनिया किसका भला चाहते है ?

