बाइक एम्बुलेंस सेवा ठप, नवजात की रास्ते में मौत।

 लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे ग्रामीण

बिलासपुर। कोटा ब्लॉक के दूरस्थ और पहाड़ी इलाकों में जीवनदायिनी साबित हो रही बाइक एम्बुलेंस सेवा पिछले 10 दिनों से ठप पड़ी है, जिसका दुखद परिणाम एक गर्भवती महिला और उसके नवजात शिशु को भुगतना पड़ा है। वेतन और पेट्रोल के 3 लाख रुपये का भुगतान न होने के कारण बाइक एम्बुलेंस चलाने वाले कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया है, जिसकी वजह से सोमवार रात एक गर्भवती महिला को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका और उसके नवजात की रास्ते में ही मौत हो गई।कोटा विधानसभा शुरू से ही स्वास्थ्य मामले को लेकर संवेदनशील रहा है केंदा, खोँगसारा, बेलगहना मे मलेरिया, हैजा, उलटी दस्त आदि बीमारियों से कई लोगों कि जान चली गई पर स्वास्थ्य विभाग आज भी कुम्भकरणीय नींद मे सोया हुवा है 

 

 – तत्कालीन कलेक्टर की पहल, वर्तमान व्यवस्था की उपेक्षा

एक साल पहले, तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने कोटा ब्लॉक के केंद्रा, लूफा, खोंगसरा और शिवतराई जैसे दुर्गम क्षेत्रों के लिए 4 बाइक एम्बुलेंस की सुविधा शुरू की थी। इन एम्बुलेंसों ने मरीजों को, खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को, समय पर अस्पताल पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन बाइक एम्बुलेंस को संचालित करने वाले कर्मचारियों को डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) मद से भुगतान किया जा रहा था।

भुगतान में देरी और सेवा का ठप होना

पिछले कुछ समय से बाइक एम्बुलेंस चलाने वाले कर्मचारियों का भुगतान रोक दिया गया था, जिससे बकाया राशि बढ़कर 3 लाख रुपये हो गई थी। कर्मचारियों ने कई बार एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) प्रभारी प्यूली मजूमदार को इस संबंध में जानकारी दी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। अंततः, 10 दिन पहले कर्मचारियों ने केंद्रा स्वास्थ्य केंद्र में बाइक खड़ी कर काम बंद कर दिया।

 

दर्दनाक घटना: नवजात की रास्ते में मौत

सोमवार रात, बहरीझिरिया की रहने वाली शांतन बाई पति जगत को प्रसव पीड़ा हुई। बहरी झिरिया के लोगों ने संदीप शुक्ला से फोन कर मदद कि गुहार लगाई तब शुक्ला ने ने बाइक एम्बुलेंस के लिए केंद्रा स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क किया, तो उन्हें पता चला कि कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण काम बंद कर चुके हैं। इसके बाद प्रभारी सीएमएचओ सुरेश तिवारी को इसकी सूचना दी गई। सीएमएचओ और केंद्रा प्रभारी के हस्तक्षेप पर रात्रि लगभग 12 बजे 102 एम्बुलेंस को बहरीझिरिया भेजा गया। महिला के गर्भ में नवजात शिशु आधा फंसा हुआ था और बाहर नहीं निकल पा रहा था। इसी हालत में महिला को 102 एम्बुलेंस से केंद्रा अस्पताल लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई।

 

जिम्मेदार कौन? अधिकारियों के टालमटोल भरे बयान

इस पूरे मामले पर एनएचएम की डीपीएम प्यूली मजूमदार ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्हें भुगतान को लेकर कोई जानकारी नहीं है। वहीं, प्रभारी सीएमएचओ सुरेश तिवारी ने स्वीकार किया कि बाइक एम्बुलेंस के कर्मचारी काम नहीं कर रहे थे और सूचना मिलने पर 102 भेजी गई थी, लेकिन दुर्गम पहाड़ी इलाका होने के कारण वाहन को मौके तक पहुंचने में देरी हुई होगी। उन्होंने कलेक्टर से चर्चा कर जल्द बाइक एम्बुलेंस को फिर से शुरू करने की बात कही।

 – जनप्रतिनिधि की पीड़ा, सरकार के पास पैसा नहीं तो करेंगे चंदा.. शुक्ला 

पूर्व जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने कई बार एनएचएम के डीपीएम को बाइक एम्बुलेंस कर्मचारियों के भुगतान की सूचना दी थी, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि स्वास्थ्य विभाग इन बाइक एम्बुलेंस को नहीं चला पा रहा है, तो उन्हें बता दें, वे गरीबों की सेवा के लिए लोगों से चंदा कर इन वाहनों को चलवाएंगे।

यह घटना स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही और लचर व्यवस्था को उजागर करती है, जिसका खामियाजा गरीब और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपनी जान देकर भुगतना पड़ रहा है। इस मामले में उच्चस्तरीय जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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