99का संघ,भय,स्वार्थ और मजबुरी के वश लोग संघ से दूर रहे इसमे उनका भी भला है और संघ का भी भला है, गुरु गोलवलकर

बिलासपुर, आर एस एस के दुतिया संघ प्रमुख ने संघ से जुड़ने वालों के लिए विशेष आग्रह किया था , एक मजबूत संस्था के लिए जरूरी बातों का उल्लेख किया था ,कई बाते कही निस्वार्थ सेवा का भाव जिसमें न हो उससे संघ से दूर रहने की सलाह दी थी बिना लालच संघ की सेवा में जुड़ने का विशेष आग्रह किया लेकिन स्वार्थ और लालच के कारण जुड़ रहे है संघ को सत्ता की सीढ़ी बना लिए है कई संघी आज भी सालों गुजर जाने के बाद भी अपनी पुरानी स्थिति में है , न पैसा कमाया,न सत्ता पाई न कड़ी सुरक्षा में घूमने के लिए संघ संघ में है, संघ आज के सता लोलुप और छपास वालो के कारण कई स्थिति को देख रहा है इन्हीं सब बातों आभास सदाशिव गोलवलकर को रहा होगा इसलिए उन्होंने साफ़ साफ़ की अनिवार्य बातों का उल्लेख किया ताकि मातृ संस्था में विकृति न आए और संघ मजबूती से अपने उद्देश्य के लिए अनवरत अपना काम करता रहे। एक संस्था  जो मजबूत उद्देश्य के साथ बनी आज उसमें हर स्वार्थी अपना स्वार्थ खोज रहा है ये बड़ी विकृति संघ के ऐसे स्वयं सेवक बन कर अपना खुद का उद्देश्य तलाश रहे है,जानिए गोलवलकर के शब्दों में एक स्वयं सेवक के लिए क्या जरूरी है।

।किसी मजबुरी के कारण संघ के स्वयंसेवक मत बनो।

किसी उपद्रव के भय से संघ के स्वयंसेवक मत बनो।

किसी स्वार्थ कि आशा से संघ के स्वयंसेवक मत बनो I 

भय,स्वार्थ और मजबुरी के वश लोग संघ से दूर रहे इसमे उनका भी भला है और संघ का भी भला है

अगर मन में लगता है ये पुरा समाज मेरा है, दुनिया के किसी कोने में बैठा हुआ इसका एक एक व्यक्ति, उसका सुख- दुख, उसका दुख मेरी रात कि नींद हराम करता है, इतनी प्रीति, आत्मीयता अगर अपने समाज के प्रति, प्रत्येक व्यक्ति के प्रति अपने मन में हो तो फिर हम स्वयंसेवक बनने का प्रयास कर सकते हैI।

 

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