सूरजपुर में हाथियों ने दो नौनिहाल जनजातीय गौरव को कुचला, दो दिन पहले एक नाबालिग मजदूर जनजाति गौरव की हो गई मौत।

बिलासपुर, प्रदेश में जनजाति गौरव असमय काल के गाल में समा रहा है,दो दिन पहले एक जनजाति गौरव नाबालिग मजदूर टट्रैक्टर के नीचे आ कर असमय काल के गाल में समा गया अब सूरजपुर में नाबालिग बिशु और काजल पडों को हाथियों मार डाला , झोपडी उजड़कर खाना खा गए , वन विभाग के अधिकारी अगर सतर्क रहते तो जनजातीय गौरव को बचाया जा सकता था लेकिन वन विभाग की जनजातीय गौरव को बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखी नतीजा सामने है, हाथियों के लगातार खाने के लिए भटकने के कारण ये स्थिति बन रही है , कहीं हाथी करेंट से मर रहे है खाने के लिए भटक रहे है , इसकी वजह से जनजाति गौरव खतरे में है , लेकिन भारी भरकम वेतन पाने वाले अधिकारी सुरक्षित है, ऐसे में जनजाति गौरव को कैसे बचाए ये एक चुनौती है, वन अधिकारी न दफ्तर में। रहते है न लोगो मिलते है न फोन उठाते है जंगल के इन। बेचारे जनजातीय गौरव को कौन बचाएगा एक तरह से रक्षक की इन जनजातीय गौरव के भक्षक बन गए है राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र जनजातीय गौरव काल के गाल में समा गए दरअसल अधिकारी आराम पसंद हो गए है यही वजह है कि जनजातीय गौरव सिसक रहा है रो रहा है भूख से परेशान है कैसे भी कर जान बचाने का प्रयास बेचारे जनजातीय गौरव खुद कर रहे है बाकी कागज में और दीवारों पर जनजातीय गौरव बेहद खुश है तरक्की कर रहा है, जिन जनजातीय गौरव का विकास हुआ भी है तो उनको अपने इन गौरवों की गंभीर, चिंता नहीं हैं  आखिर राजनीति से परे हटकर कोई इनके बारे में कब सोचेगा भगवान इन जनजातीय गौरव की रक्षा करे । एक जनजातीय गौरव की पीड़ा।

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