सीबीएसई ने ‘डमी स्कूल’ की समस्या को रोकने के लिए राजस्थान, दिल्ली के 27 स्कूलों का औचक निरीक्षण किया
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी | एएनआई
इसरो वैज्ञानिक एन. वलारमथी |
बिलासपुर, दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ‘डमी स्कूल’ की समस्या को रोकने के लिए मंगलवार को राजस्थान और राष्ट्रीय राजधानी के 27 स्कूलों का औचक निरीक्षण किया। शीर्ष अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
यह कदम बोर्ड द्वारा डमी छात्रों और अयोग्य अभ्यर्थियों को नामांकित करने के मामले में 20 स्कूलों की मान्यता रद्द किए जाने के छह महीने बाद उठाया गया है।
सीबीएसई के सचिव हिमांशु गुप्ता ने कहा, ‘‘इस निरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि बोर्ड से संबद्ध स्कूल सीबीएसई द्वारा निर्धारित मानदंडों और उपनियमों का सख्ती से पालन करें। निरीक्षण 27 टीम द्वारा किया गया, जिनमें से प्रत्येक में एक सीबीएसई अधिकारी और सीबीएसई-संबद्ध स्कूल का प्रधानाचार्य शामिल था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘निरीक्षण की सधी हुई योजना बनाई गई और इसे समानांतर तरीके से अंजाम दिया गया, जो कम समयसीमा के भीतर सभी चयनित स्कूलों में एक साथ किया गया।’’
गुप्ता ने कहा कि औचक निरीक्षण का दृष्टिकोण इसलिए अपनाया गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्कूलों के संचालन और अनुपालन के बारे में एकत्र की गई जानकारी सटीक होने के साथ ही उनके रोजमर्रा के कामकाज को प्रतिबिंबित करती हो।
उन्होंने कहा, ‘‘इस निरीक्षण के निष्कर्षों की व्यापक समीक्षा की जाएगी और गैर-अनुपालन के मामलों में उचित कार्रवाई की जाएगी। सीबीएसई कठोर निगरानी के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है और यह सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के औचक निरीक्षण करना जारी रखेगा कि संबद्ध स्कूल बोर्ड द्वारा अपेक्षित गुणवत्ता और मानकों को बनाए रखें।’’
इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अनेक छात्र डमी स्कूलों में प्रवेश लेना पसंद करते हैं ताकि वे पूरी तरह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकें। वे कक्षाओं में नहीं जाते हैं और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल हो जाते हैं।
कुछ राज्यों के छात्रों के लिए मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में उपलब्ध कोटा को ध्यान में रखते हुए भी अभ्यर्थी डमी स्कूलों का चयन करते हैं। उदाहरण के लिए, जिन अभ्यर्थियों ने दिल्ली में कक्षा 11 और 12 पूरी की होती है, उन्हें दिल्ली राज्य कोटा के तहत राष्ट्रीय राजधानी के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए प्राथमिकता दी जाती है।