बिलासपुर-जिला अध्यक्ष विनय केशरवानी ने भाजपा की हुंकार रैली को दिखावा बताया है बिलासपुर सहित छतीसगढ में एक भी मजबूत महिला नेतृत्व नहीं बनाया जिसके कारण स्मृति ईरानी को बुलाया जा रहा है ये छत्तीसगढ़ी की महिला मोर्चा के अपमान है। स्मृति ईरानी का विरोध स्मृति ईरानी की हुंकार रैली दरअसल विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा का मात्र प्रोपोरीन्या है । केन्द्रीय मंत्री को हुंकार रैली में शामिल होने से पहले कम से कम होमवर्क तो कर लेना चाहिए । पता लगाना चाहिए था कि डॉ . रमन सिंह के कार्यकाल में महिला अपराध को लेकर देश में छत्तीसगढ़ में हमेशा एक नम्बर हासिल किया है । आज देश में उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , गोवा , गुजरात बिहार छत्तीसगढ़ से बहुत आगे है । भूपेश सरकार के कार्यकाल में महिला और बाल अपराध में रिकार्ड तोड़ कमी आयी है । स्मृति ईरानी को कम से कम केन्द्र महिलाएं सर्वाधिक असुरक्षित है । जबकि सरकार के अधीनस्थ एनआरसी का आंकड़ा को पढ़ लेना था । दिल्ली पुलिस केन्द्र सरकार की है । नौटंकी और धरना प्रदर्शन में माहिर केन्द्रीय मंत्री ईरानी की अभिनय प्रतिभा से हम अच्छी तरह वाकिफ है । जब पेट्रोल डीजल का दाम 65 रूपए था उस समय महगाई के नाम पर सिलेन्डर सिर पर उठाकर हायतौबा कर रही थी । आज सिलेन्डर का दाम पेट्रोल , डीजल का दाम आसमान पर है । ऐसे में कम से कम उन्हें जमीन पर तो महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए था।लेकिन मोदी भक्त स्मृति ऐसा हरगिज नहीं करेगी । हम अच्छी तरह से जानते है कि हमारे संविधान में नेता बनने के लिए किसी शैक्षणिक सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है । लेकिन उम्मीद की जाती है कि मंत्री सप ही बोलेंगे । बावजूद इसके ईरानी ने देश की जनता को गुमराह किया है । कभी खुद को 12 वी पास तो कभी पैट कहती है । सच तो यह है कि केन्द्रीय मंत्री ने महिला होकर महिलाओं का अपमान किया है । सबरीमाला मंदिर पर दिया गया अभी देश की महिलाएं भूली नहीं है । कभी मोदी का इस्तीफा मांगने वाली स्मृति ईरानी आज : मोदी की तारीफ करते नहीं लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि कभी बुरे लगने वाले मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी आज उन्हें क्यों सही लगते हैं । यह जानते हुए भी कि मोदी की नीतियों से देश का एक एक नागरिक खून के आंसू रोने को मजबूर है । खुद को आदी नेशन वन कहने वाली तात्कालीन मानव संसाधन मंत्री केन्द्रीय मंत्री ईरानी को बताना होगा कि के हैदराबाद में के आत्महत्या के लिए कौन जिम्मेदार है । ऐसी महिला और दलित विरोधी मंत्री को अत्याचार की दुहाई देने का कोई अधिकार नहीं है । यदि दम है तो उत्तरप्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ हुंकार रैली निकालकर दिखाएं ।

