कभी चलाने को साइकिल के लिए तरसता था पीलू ,आज देश के बड़े कलाकारो में गिनती ,35 से चालीस युवाओं दे रहा रोजगार

बिलासपुर- रायपुर के मूर्तिकार पीलू राम की आज जितने सफल दिख रहे है उसके पीछे की कहानी पीलू और उसमें मुफलिसी के साथी जानते है कभी कभी बिना चप्पल और एक सायकिल के लिए तरसते पीलूराम आज इस मुकाम पर पहुंच पाएंगे है इसकी कभी कल्पना भी पीलूराम ने नही की थी हाथ मे हुन्नर होते हुए भी पीलूराम रोजी मजूरी करके अपना घर चलता रहा है समय बदल राज्य बना उसने आस नही छोड़ी अपनी मेहनत में लगा रहा हताश पीलूराम को इस कदर घेरे हुई थी उसको कुछ समझ नही आता रात में काम से लौटते बिस्कुट और मिक्चर से किसी तरह पेट भरते पीलूराम को आज मुकाम मिला है तो उसकिआस ने आज पीलूराम का भरा पूरा परिवार पीलू खुद कम पढ़ा लिखा है लेकिन पत्नी उसकी ग्रेजुएट है पत्नी ने जो साथ दिया तो पीलू ने पीछे मुड़कर नही देखा भगवान पर अगाध श्राद्धा रखने वाला पीलू आज देश के जानेमाने कलाकरों में गिना जाने लगा है जिसके पास खुद के खाने के लाले थे आज व्व 35 से 4 युवाओं को रोजगार दे रहा है

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