हाईकोर्ट का डीजीपी को निर्देश, नक्सलियों मुठभेड़ करने वाले आरक्षकों कोआउट ऑफ टर्न प्रमोशन दें।

बिलासपुर-दुर्ग जिले के विभिन्न थानों में पदस्थ आरक्षक एवं प्रधान आरक्षक द्वारा नक्सली पुलिस मुठभेड़ में कर्तव्य के साथ विशेष निपुर्नता प्रदर्शित की थी जिसे पुलिस रेगुलेशन रूल की धारा ७० के तहत पदोनात्ति प्रदान की जानी थी पर उपरोक्त पदोन्नति से वंचित रखे जाने के कारण याचिकाकर्ता के द्वारा याचिका प्रस्तुत की गई । यह की अक्टूबर २०१० को बोगदा पुलिया थाना जामुल जिला दुर्ग में हुयी नक्सली पुलिस मुठभेड़ में नक्सली नागेश डिवीज़न कमांडर उत्तर बस्तर एवं उसकी पत्नी तारा बाई एरिया कमांडर को एनकाउंटर में पुलिस द्वारा मार गिराया गया उक्त प्रकरण में तत्कलीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री मनीष शर्मा वर्तमान पुलिस अधीक्षक यु.बी.एस.चौहान तत्कालीन नगर पुलिस अधीक्षक छावनी वर्तमान पुलिस अधीक्षक व थाना प्रभारी जामुल आर.पी.शर्मा को सहाशिक कार्य के लिए राष्ट्रपति वीरता पुरष्कार से सम्मानित किया गया था जबकि इसी प्रकरण में शाहस एवं वीरता से काम करने वाले आरक्षक एवं प्रधान आरक्षक को किसी प्रकार का कोई पारितोषिकापद्दोनती नहीं प्रदान की गयी थी जिससे क्षुब्द होकर सत्यनारायण पाठक , दीपक तिवारी एवं अन्य ने अपने अधिवक्ता संदीप सिंह , नरेन्द्र मेहर एवं राहुल शर्मा के माध्यम से माननीय उच्च न्यायलय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी , जिसकी सुनवाई न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल के एकलपीठ में हुयी , उपरोक्त प्रकरण की पैरवी करते हुए अधिवक्ता राहुल शर्मा ने याचिकाकर्ता का पक्ष रखते यह आधार लिया की याचिकाकर्ता पुलिस विभाग में आरक्षक एवं प्रधान आरक्षक के पद पर विभिन्न थानों में पदस्त है एवं वर्ष २०१० में हए नक्सली पुलिस मुठभेड़ में नक्सली नागेश डिवीज़न कमांडर उत्तर बस्तर एवं उसकी पत्नी तारा बाई एरिया कमांडर को एनकाउंटर में पुलिस द्वारा मार गिराया गया था , एवं उपरोक्त सहाशिक कार्य को देखते हुए उच्च पर पर पदस्थ अधिकारियो को राष्ट्रपति वीरता पुरष्कार सहित आउट ऑफ टर्न पदोनती प्रदान कर दी गयी परन्तु याचिकाकर्ता जो की उक्त घटना में वैसे ही सम्मिलित हुए थे जैसे की अन्य उच्च अधिकारियो , उन्हें उक्त पदोनात्ति से वंचित रखा गया , एवं यह भी बताया गया की सम्बंधित याचिकाकर्ताओ का नाम आउट ऑफ टर्न प्रमोशन हेतु पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस महानिरीक्षक के द्वारा अनुसंशा की गयी थी जिसे गलत एवं बिना किसी स्पीकिंग आर्डर के याचिकाकर्ताओ को पदोनती से वंचित रखा गया है जोकी विधि विरुद्ध एवं नैसर्गिक सिद्धांत के विपरीत है , एवं याचिकाकर्ताओं का पदोनती से सम्बंधित दिया गया अभ्यावेदन माननीय पुलिस महानिदेशक के समक्ष लंबित है उपरोक्त प्रकरण की सुनवाई के दौरान माननीय उच्च न्यायलय ने आदेश पारित करते हुए यह निर्देशित किया की याचिकाकर्ताओ के लंबित अभ्यावेदन पर पुलिस महानिदेशक रायपुर छत्तीसगढ़ के द्वारा उपरोक्त अभ्यावेदन पर गंभीरता एवं विधिपूर्वक विचार करते हुए विगत तीस दिनों के भीतर कारन बताते हुए स्पीकिंग आदेश पारित करने हेतु कहा गया है ।

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