
पं चतुर्वेदी ने जगाया‘छत्तीसगढ़िया’स्वाभिमान:सुशांत,पद्मश्री चतुर्वेदी की पुण्य तिथि पर उठी छत्तीसगढ़ी को केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग, महापौर ने कहा- अधूरे सपनों को पूरा कर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष, वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार पद्मश्री पं श्यामलाल चतुर्वेदी की आठवीं पुण्यतिथि रायपुर रोड स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर मनाई गई। इस मौके पर बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि पं चतुर्वेदी के व्यक्तित्व और कृतित्व का अध्ययन करें तो उनके जीवन से यह बात निकल कर आती है कि उन्होंने जाति, वर्ग, संप्रदाय से अलग छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान को जगाया।
उन्होंने कहा कि पं चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ी साहित्य की अमिट छाप और बिलासपुर की पहचान हैं। उन्होंने बताया कि ‘पुरखा के सुरता’कार्यक्रम के अंतर्गत कोनी में शीघ्र ही पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी के नाम पर साहित्य और सत्यदेव दुबे की स्मृति में कला केंद्र की स्थापना की जाएगी।
जब जूदेव के सामने पड़ी डांट..
विधायक शुक्ला ने संस्मरण बताया कि कुमार दिलीप सिंह जूदेव अपोलो से इलाज के बाद छत्तीसगढ़ भवन के कमरा नंबर 1 पर ठहरे, तब उन्हें पता चला कि चतुर्वेदीजी अस्वस्थ हैं। सुनकर वे पैदल ही चितले कालोनी के निवास पहुंच गए। जैसे ही चतुर्वेदी को पता चला कि जूदेवजी अपोलो में भर्ती थे, उन्होंने इसकी जानकारी नहीं देने पर नाराजगी जताई, तब जूदेवजी ने समझाया कि लिहाज करते सूचना नहीं दिया होगा। शुक्ला ने कहा कि वह पशोपेश में थे कि जो चतुर्वेदीजी पहले से बिस्तर पर हैं, उन्हें जूदेवजी की बीमारी के बारे में बताने से दोनों परेशान होंगे।
छत्तीसगढ़ की पहचान बने चतुर्वेदी:महापौर
महापौर पूजा विधानी ने कहा कि पं चतुर्वेदी ने अपनी कर्म भूमि बिलासपुर और छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए बड़ा योगदान किया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता और छत्तीसगढ़ी भाषा के क्षेत्र में उन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान मध्यप्रदेश के समय से स्थापित की। उनकी चर्चित कविता ‘बेटी के बिदा’ काव्य संकलन ‘पर्रा भर लाई’से उन्हें काफी शोहरत मिली। राज्य बनने के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।
उन्होंने कहा कि पं चतुर्वेदी ने ‘छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया’ के नारे को चिरस्थाई करने, भाषा के प्रति स्वाभिमान जगाने भगीरथ कार्य किए, जिसके चलते वह छत्तीगढ़ की पहचान बने रहे।
छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाना चतुर्वेदी का सपना:अवस्थी
वरिष्ठ पत्रकार रूद्र अवस्थी ने कहा कि आज पं चतुर्वेदी की पुण्य तिथि पर उनका दि्व्य स्मरण करने के साथ ही उनके अधूरे कार्यों, सपने को पूरा करने, आगे बढ़ने के संकल्प का भी दिन है। उन्होंने कहा कि पं चतुर्वेदी ने पद्मश्री हासिल करते वक्त भी छत्तीसगढ़ी को केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग राष्ट्रपति तक पहुंचाई थी। यह सिलसिला आगे बढ़े,इस दिशा में ठोस पहल होना चाहिए।
छत्तीसगढ़ के हित को परमहित समझा: राय
भाजपा नगरीय प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक किशोर राय ने कहा कि पं चतुर्वेदी ऐसे महामना थे, जिन्होंने छत्तीसगढ़ के हित को अपना परमहित मानकर सर्वस्व योगदान दिया। पत्रकारिता के क्षेत्र में छह दशकों तक कार्य करने वाले पं चतुर्वेदी ने छत्तीसगढ़ की अस्मिता और छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए निरंतर कार्य किया। वे उस दौर के पत्रकार थे जब निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारों के लिए कहा जाता था कि उनका एक पैर जेल में दूसरा प्रेस में हुआ करता था।
कार्यक्रम में रामनिहोर राजपूत ने छत्तीसगढ़ी वंदना प्रस्तुत किया। इस मौके पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा.सोमनाथ यादव, वरिष्ठ पत्रकार रूद्र अवस्थी, कान्यकुव्ज ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष अरविंद दीक्षित, अजय शर्मा, साहित्यकार डा. राघवेंद्र कुमार दुबे, डा. बजरंगबली शर्मा, सनत तिवारी, डा.विवेक तिवारी, डा. सुषमा शर्मा, शीतल प्रसाद पाटनवार, भाजपा नेता रौशन सिंह, पूर्व पार्षद विजय यादव, सुरेश वाधवानी, विष्णुकुमार तिवारी, राजेंद्र तिवारी, अरविंद दीक्षित शशिकांत चतुर्वेदी अंबिका चतुर्वेदी, सूर्यकांत चतुर्वेदी, ममता चतुर्वेदी, अंबर चतुर्वेदी, सोमी चतुर्वेदी, कर्ण चतुर्वेदी, विेंदेश्वरी प्रसाद वर्मा आदि उपस्थित थे।
