बिलासपुर, राहुल गांधी के पॉलिसी करने से कोयला मजदूर सायकल चलने,से पुट्टी लगाने से कम से कम विजय जांगिड़ जैसे प्रभारी कोई सिख नहीं ले रहे है ये महंगे प्रभारी प्रदेश पर बोझ है , संगठन को मजबूत करने पर बात ही नहीं करते आते है गिनती के कार्यकर्ता से मिलते है महंगे होटल में रुकते है फोटू खिंचाते है निकल लेते है, हार बाद आए थे बैठक लेना था कार्यकर्ता से पूछना था क्यों हारे लेकिन ये संगठन प्रभारी नहीं संगठन पर भारी दिखते है, कार्यकर्ता से मिलने से पता चलता क्यों हारे जिले में नगरी निकाय में हर क्यों हुई , पार्टी कार्यकर्म से मिलने का इन प्रभारी के पास समय नहीं है तीन चुनाव हार गए फिर भी यही प्रभारी राहुल गांधी ने रख है, काम नहीं करने वाला राहुल गांधी का कार्यकर्ता नहीं हो सकता , महंगे होटल से नहीं जमीनी कार्यकर्ता से मिलने से पता चलेगा क्यों हारे । नए लोगों को कांग्रेस जोड़ नहीं पा रही है , वोट बैंक घट रहा है जिला संगठन मजबूत कैसे होगा ऐसे प्रभारी रहेंगे तो कभी नहीं हो सकता नहीं कूचर कर सकते तो कार्यकर्ता से मिल कर संवाद करते कार्यकर्ता तो कम से कम रिचार्ज होता लेकिन वो भी नहीं किया।