बिलासपुर, मेरी अमीर धरती से देश और दुनिया के व्यापारी आज दुनिया के अमीर बने हुए है उसके मालिक के नवाजात की मौत हो गई , जिसकी जमीन जिसका जंगल जिसका पानी उसको नहीं मिला इलाज,और ये बात देश के राष्ट्रपति तक नहीं पहुंची न वो खून से चिट्ठी लिख पाता क्यों उसके शरीर में खून बचा ही नहीं उसको तो दुनिया के अमीर और प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने चूस लिया ,ये दुनिया के सबसे अमीर आदमी की कहानी है, बेबस लाचार , राष्ट्रपति की सारंक्षित जाति मौत के आगोश में चली गई उनको पता नहीं चला,उदयपुर के मिर्गा डांड में समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने से संरक्षित आदिवासी पड़ों नवजात की मौत हो गई, अब ये अमीर इतने प्रभावी नहीं की तुरत में एयर एंबुलेंस मिल जाए किसी नेता , बड़े व्यापारी की तबियत बिगड़ती तो सरकारें भी एयर एंबुलेंस देने में मदद करती ,ये दुनिया के ऐसे अमीर लोग है जिनकी संपति से नेता अधिकारी व्यापारी सब ऐश कर रहे है लेकिन इनकी सुधार बहानेबाजी और सरकारी कागजों में है अधिकारी सरकार की छवि खराब कर रहे है , किसी राजा को उसके प्रजा पर कैसे नींद आ सकती है, स्वास्थ्य मंत्री को तुरत हटाना चाहिए,
मिर्गा डांड में एंबुलेंस नहीं मिलने से पांडे आदिवासी के नवजात की मौत हो गई स्वास्थ्य विभाग ने संरक्षित पड़ो आदिवासी की खुशी छीन कर उनकी खुशियों को तार तार कर दिया
इसके पहले पहाड़ी कोरवा की लुण्ड्रा पंचायत चिराग़ में बुजुर्ग महिला की डायरिया मौत हो गई , आदिवासी के प्रदेश में आदिवासी ही को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलेगी तो किसको मिलेगी,ये बेहद संवेदनशील मामला है, भारी भरकम स्वास्थ सुविधा के का दावा करने वाले स्वास्थ्य मंत्री राष्ट्रपति की संरक्षित जाति को नहीं बचा पा रहे है, या तो स्वास्थ मंत्री को अधिकारी कुछ नहीं समझ रहे या फिर स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश में दम नहीं है , संरक्षित आदिवासी की मौत बेहद गंभीर है, इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं होना चाहिए, समय परएंबुलेंस पहुंच जाता तो संरक्षित आदिवासी पड़ों नवजात की जान बच जाति बेचारे सीधे साधे आदिवासी सरकारी नियम कायदे और अधिकारियों की पंचायत में फंस गए और नवजात की जान चले गई , क्या बच्चे को बचाने कोई अधिवकारी अपनी वाहन नहीं दे सकता था लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के विभाग में संवेदनशीलता नहीं दिखी किसी की जान और बचा कर उसके घर में खुशी देकर क्या विभाग को खुशी नहीं मिलती लचर पचर स्वास्थ सुविधाएं एक आदिवासी परिवार की खुशी छीन ली। आदिवासियों का सीधा पन उनके लिए जानलेवा बन रहा है।