छत्तीसगढ के आदिवासी की जमीन पहले झारखंड के आदिवासी के नाम लिया फिर महावीर कोल वाशरी के नाम हो गई जमीन, कलेक्टर से शिकायत।

महावीर कोलवासरी के द्वारा जांच पूरी हुये बिना अवैध निर्माण कार्य को रोक लगे।

बिलासपुर, महावीर कोलवासरी  द्वारा अवैध बाउन्ड्रीवाल करायी जा रही थी जिसकी लपत हम ग्रामीण जनों ने आपके समक्ष रखी थी जिसमें आदिवासी की अवैध खरीदबिकी राजेन्द्र सिंह पिता जाहर सिंह बारा खरगहनी के लगभग 40 से 45 आदिवासी किसानों की जमीन खरीद कर एकमुस्त महावीर कोलवासरी के डायरेक्टर न्द कुमार जैन के नाम विक्रय कर दी लगभग 52 एकड जमीन में से 5 एकड़ राजेन्द्र सिंह ने अपने पास रखी बचत एकड जमीन विक्रय कर दी, जबकी ग्रामपंचायत खरगहनी में पेशा एक्ट कानून लागू है विशेष आदिवासी (बहुल्य) क्षेत्र 47 एकड़ जमीन षड़यन्त्र पुर्वक सामान्य के नाम पर रजिस्ट्री कर दी गई, बिन्दू क. वो ग्रामपंचायत हनी के धानिक अनापत्ति प्रमाण पत्र महावीर कोतवासरी के द्वारा प्राप्त कर केन्द्रीय पर्यावरण एवं राज्य वरण तथा क्षेत्रीय पर्यावरण को आवेदन पत्र संलग्न कर दिया गया। प्राप्त दस्तावेद के आधार पर रेल्वे साईडिंग कोलवासरी निर्माण की अनुमति पत्रक अनुविभागीय दण्डाधिकारी (राजस्व) एवं शासन के समस्त विभाग   ग्रामसभा आहुत करके ध्वनि मत से महावीर कोतवासरी को अनापत्ति प्रमाण पत्र ब्त किया गया। नियमतः महावीर कोलवासरी पर झूठी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर बेधापडी का मुकदमा या जाना था क्योंकि झुठे दस्तावेज शासन को देकर के अनुमति लेना के दायरे में आता है।  आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया जाये। वहीं शासकिय जमीन पर ड्रीवाल निर्माण कार्य करना भी आपराधिक प्रकरण में आता है जिसके शिकायत दर्ज कराई गई थी, ग्रामीणों शिकायत को अपील मानकर महावीर कोलवासरी पर मामला दर्ज कर फ्तारी का आदेश दिया जायें , ग्रामीणों ने राष्ट्रपति , पीएम सीएम को कलेक्टर के माध्यम से शिकायत की है।

 

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