धरमजीत सिंह ने उठाया भुइया का मामला कहां सीएम के निर्देशों का पालन नहीं,, मंत्री शिविर लगाकर निराकरण किया जा रहा है।

 

छत्तीसगढ़ राज्य में भुईया प्रीधाम किसान भाईयों के लिए एक अभिशाप बन गया है सर्वोच्च प्राथमिकता में किसानों की परेशानियों को तत्काल और प्रभावी ढंग से निराकरण करने के लिए  मुख्यमंत्री  के निर्देशों को प्रदेश के राजस्व अमले दर किनार किए बैठे हैं। गुईया प्रोग्राम में खसरा, बी-1 एवं नक्शा ऑनलाईन एंट्री करते समय पटवारियों से हुई त्रुटियों के चलते प्रदेश के किसान तहसील कार्यालय, एसडीओ के कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इन त्रुटियों के लिए भू-राजस्व संहिता की धारा 115 के तहत प्रकरण एसडीओं के न्यायालय में दर्ज करने कहा जा रहा है, जबकि इस धारा के तहत राजस्व के जिम्मेदारों को स्वप्रेरणा से प्रकरणों की त्रुटि सुधार किया जाना चाहिए। साधारण से हुए त्रुटि सुधार जो तहसील स्तर पर हो जाता था, यह अब एसडीओ के न्यायालय में पेश करना बाध्यता है. वहीं एबीी को अपनी प्रोटोकाल ड्यूटी से फुर्सत नही है, किसान शाल-साल भर एसडीओ न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं, वहीं दुरुस्तीकरण के नाम पर अवैध उगाही भी खुले आम चल रही है। जून-जुलाई 2024 की स्थिति में रायपुर, बिलासपुर, मुंगेली, दुर्ग, राजनांदगांव सहित पूरे प्रदेश में ऐसे प्रकरणों की संख्या लाख से भी अधिक है। त्रुटि सुधार करवाना, किसानों के लिए एक अदालती मुकदमा का रूप ले लिया है. यहीं हद तो यह है कि, निवेश क्षेत्र बिलासपुर संभाग के तखतपुर अंतर्गत तखतपुर पंडरिया, निगारबंद पड़रिया, टीहूलाबीह नगोई, कुंदा, अमोलीकापा, जरेली, खपरी, लिदरी, जरौधा, अरईबंद, गुनसरी करही, मोढ़े, बेलसरी इसी प्रकार निवेश क्षेत्र सकरी के अंतर्गत माड़म् घुटक, पोड़ी, देवरीकाला सहित पुरे क्षेत्र में कलेक्टर बिलासपुर के द्वारा कृषि भूनि के व्यपवर्तन कार्य विगत्त समय से अनाधिकृत रूप से बंद कर दिया गया है भूमि स्वामी हक की भूमि का मद परिवर्तन नहीं होने से क्षेत्र में भवन निर्माण व्यावसाविक प्रयोजनार्थ, औद्योगिक स्थापना जैसे विकास कार्य पूरी तरह ठप्प है। डायवर्सन के कार्य बंद होने से भू-स्वामी अपने ही मकान, व्यवसाय उद्योग लगाने में असहाय हो गए हैं। शासन/प्रशासन से लोग निस्तर गुहार लगा रहे हैं, मगर प्रशासन नजरअंदाज करने में लगा है। मुईयां प्रोग्राम के क्रियान्वन में हुए त्रुटियों एवं बेवजह डायवर्सन प्रक्रिया को बंद रखने से किसानों में भारी रोष व्याप्त है।

कथन

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यह कथन सही नहीं है कि छत्तीसगढ़ राज्य में भुईया प्रोग्राम किसान भाईयों के लिए एक अभिशाप बन गया है, सर्वोच्च प्राथमिकता में किसानों की परेशानियों को तत्काल और प्रभावी ढंग से निराकरण करने के लिए मान, मुख्यमंत्री  के निर्देशों को प्रदेश के राजस्व अमले दर किनार किए बैठे है बल्कि वस्तुस्थिति यह है कि सर्वोच्य प्राथमिकता से किसानों की परेशानियों को तत्काल और प्रभावी ढंग से निराकरण करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशों का राजस्व विभाग के अधिकारियों / कर्मचारियों द्वारा अक्षरशः पालन करते हुए नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। यह कहना भी सही नहीं है कि भुईया प्रोग्राम में खसरा, बी-1 एवं नक्शा ऑनलाईन एन्ट्री करते समय पटवारियों से हुए त्रुटियों के चलते प्रदेश के किसान तहसील कार्यालय, एसडीओ के कार्यालय में चक्कर काटने में मजबूर है। साधारण से हुए त्रुटि सुधार जो तहसील स्तर

पर हो जाता था, यह अब एसवीओ के न्यायालय में पेश करना बाध्यता है, वहीं एस.डी.ओ को अपनी प्रोटोकॉल क्यूटी से फुर्सत नहीं है। किसान साल-साल भर एस.डी.ओ. न्यायालय के चक्कर काट रहे है, वहीं दुरुस्तीकरण के नाम पर अवैध उगाही भी खुलेआम चल रही है। वस्तुस्थिति यह कि किसानों द्वारा उन्न त्रुटियों के सुधार हेतु तहसील कार्यालय या एसडीओ के कार्यालय में व्यक्तिशः जाने की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार किसानों की सुविधा के लिए किसी भी लोकसेवा केन्द्र अथवा अपने मोबाईल के माध्यम से शासन द्वारा अधिकृत वेबसाईट भुइंया के माध्यम से घर बैठे प्रकरण अनुविभागीय अधिकारी के न्यायालय में दर्ज कराया जा सकता है, जिसका निराकरण छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा में वर्णित प्रावधानों के अधीन राजस्व * प्रकरणों का नियमानुसार अनुविभागीय अधिकारी द्वारा निराकरण किया जा रहा है। किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में यह अधिकार तहसीलदार को प्रत्यायोजित कर दिया गया है। यह कथन भी सही नहीं है कि जून जुलाई 2024 की स्थिति में रायपुर, बिलासपुर, मंगेली, दुर्ग, राजनांदगांव सहित पूरे प्रदेश में ऐसे प्रकरणों

पर हो जाता था. वह अब एसडीओ एसबीओ के न्यायालय में पेश करना बाध्यता है, वहीं एस.डी.ओ को अपनी प्रोटोकॉल ड्यूटी से फुर्सत नहीं है। किसान साल-साल भर एस.डी.ओ. न्यायालय के चक्कर काट रहे है. वहीं दुरुस्तीकरण के नाम पर अवैध उगाही भी खुलेआम चल रही है। वस्तुस्थिति यह कि किसानों द्वारा उन त्रुटियों के सुधार हेतु तहसील कार्यालय या एसडीओ के कार्यालय में व्यक्तिशः जाने की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार किसानों की सुविधा के लिए किसी भी लोकसेवा केन्द्र अथवा अपने

मोबाईल के माध्यम से शासन द्वारा अधिकृत वेबसाईट भुइंया के माध्यम से घर बैठे प्रकरण अनुविभागीय अधिकारी के न्यायालय में दर्ज कराया जा सकता है, जिसका निराकरण छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा में वर्णित प्रावधानों के अधीन राजस्व ५ प्रकरणों का नियमानुसार अनुविभागीय अधिकारी द्वारा निराकरण किया जा रहा है। किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में यह अधिकार तहसीलदार को प्रत्यायोजित कर दिया गया है। यह कथन भी सही नहीं है कि जून जुलाई 2024 की स्थिति में रायपुर, बिलासपुर, मुंगेली, दुर्ग, राजनांदगांव सहित पूरे प्रदेश में ऐसे प्रकरणों की संख्या लाख से भी अधिक है। बल्कि वस्तुस्थिति यह है कि वर्तमान में राजस्व न्यायालय में भू-अभिलेख त्रुटिसुधार के कुल 28651 प्रकरण विचाराधीन है। जिसमें से 8410 प्रकरण समय सीमा के भीतर है एवं 20241 प्रकरण समय सीमा के बाहर है। राजस्व वर्ष 2022-23 में कुलु 25990 प्रकरणों के निराकरण किये गये है। राजस्व वर्ष 2023-24 में अब तक 27307 निराकरण किया गया है। वर्तमान में जिला रायपुर में कुल 1133 प्रकरण विचाराधीन है। जिसमें से 436 प्रकरण समय सीमा के भीतर हैं एवं 697 प्रकरण समय सीमा के बाहर है। राजस्व वर्ष 2022-23 में कुल 2071 प्रकरणों के निराकरण किये गये है। राजस्व वर्ष 2023-24 में अब तक 2446 निराकरण किया गया है। इसी प्रकार जिला बिलासपुर में कुल 2725 प्रकरण विचाराधीन है। जिसमें से 525 प्रकरण समय सीमा के भीतर है। एवं 2200 प्रकरण समय सीमा के बाहर है। राजस्व वर्ष 2022-23 में कुल 1024 प्रकरणों के निराकरण किये गये है। राजस्व वर्ष 2023-24 में अब तक 1371 निराकरण किया गया है। साथ ही जिला मुंगेली में कुल 1145 प्रकरण विचाराधीन है। जिसमें से 380 प्रकरण समय सीमा के भीतर है एवं 765 प्रकरण समय सीमा के बाहर है। राजस्व वर्ष 2022-23 में कुल 1063 प्रकरणों के निराकरण किये गये है। राजस्व वर्ष 2023-24 में अब तक 706 निराकरण किया गया है। दुर्ग में कुल 1229 प्रकरण विचाराधीन है। जिसमें से 476 प्रकरण समय सीमा के भीतर है एवं 753 प्रकरण समय सीमा के बाहर है राजस्व वर्ष 2022-23 में कुल 1610 प्रकरणों के निराकरण किये गये है। राजस्व वर्ष 2023-24 में अब तक 1435 निराकरण किया गया है तथा जिला राजनांदगांव में कुल 1221 प्रकरण लंबित है। जिसमें से 377 प्रकरण समय सीमा के भीतर है एवं 851 प्रकरण समय सीमा के बाहर है। राजस्व वर्ष 2022-23 में कल 588 प्रकरणों के निराकरण किये गये है। राजस्व वर्ष 2023-24 में अब तक 603 निराकरण किया गया है। यह कथन भी सही नहीं है कि निवेश क्षेत्र बिलासपुर संभाग के तखतपुर अंतर्गत तखतपुर, पंडरिया, निगारबंद, टिहुलाडीह, नगोई, कुवा, अमोलीकांपा, जरेली, खपरी, लिदरी, जरौधा, अरईबंद, गुनसरी, करही, मोढ़े, बेलसरी इसी प्रकार निवेश क्षेत्र सकरी के अंतर्गत भाड़म, घुटकू पोड़ी, देवरीकला सहित पुरे क्षेत्र में कलेक्टर बिलासपुर के द्वारा कृषि भूमि के व्यपवर्तन कार्य विगत समय से अनाधिकृत रूप से बंद कर दिया गया है, भूमि स्वामी हक की भूमि का मद परिवर्तन नहीं होने से क्षेत्र में भवन निर्माण, व्यावसायिक प्रयोजनार्थ, औद्योगिक स्थापना जैसे विकास कार्य पूरी तरह ठप्प है। डायवर्सन के कार्य बंद होने से भू-स्वामी अपने ही मकान, व्यवसाय उद्योग लगाने में

असहाय हो गए है। वस्तुस्थिति यह है कि व्यपवर्तन के संदर्भ में विभागीय अधिसूचना कमांक एफ 4-46/7-1/2019 दिनांक 04/09/2019 द्वारा व्यपवर्तन के लिये अनुज्ञा हेतु सक्षम प्राधिकारी अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) नियुक्त होने से कलेक्टर बिलासपुर के द्वारा भूमि व्यपवर्तन के संबंध में किसी प्रकार के रोक नहीं लगाई गयी है। अनुविभाग तखतपुर अन्तर्गत ग्राम तखतपुर, पंडरिया, निगारबंद, टिहुलाडीह, नगोई, कुवां, अमोलीकांपा, जरेली, खपरी, लिदरी, जरौधा, अरईबंद, गुनसरी, करही, मोढ़े, बेलसरी इसी प्रकार निवेश क्षेत्र सकरी के अंतर्गत भाड़म, घुटकू, पोडी, देवरीकला को संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश बिलासपुर के द्वारा बिलासपुर विकास योजना 2031 अनुसार मास्टर प्लान तैयार होकर प्रकाशन हो चुका है एवं उल्लेखित क्षेत्र/ग्राम में छ०ग० नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 16 लागू है। साथ ही छ०ग० नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 16 के तहत् वर्तमान में भू उपयोग से भिन्न भू उपयोग में तब्दील किये जाने हेतु संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश रायपुर से लिखित स्वीकृति/अनुज्ञा प्राप्त किया जाना आवश्यक है। भूइयों प्रोग्राम के क्रियान्वयन में त्रुटियों का निराकरण शिविर का आयोजन किया जाकर सजगता से किया जा रहा है तथा नियमानुसार अधिसूचित क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों में डायवर्सन बंद नहीं किया गया है। अतः किसानों में रोष व्याप्त नहीं है।

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