बिलासपुर- बीजेपी टिकट वितरण में सावधानी बरत रही है कार्यकर्ता और लोगो से फ़ीडबैक के बाद तीन बार चुनाव लड़ चुके , और पांच हजार से अधिक से चुनाव हारने वालो को टिकट नही देने वाली है , पार्टी दूसरी लाइन के नेताओं को आगे करने जा रही है,इससे दूसरी लाइन के नेता उत्साहित हैं, अब इनमें छत्तसगढिया को महत्व मिलेगा की नही ये साफ नही है, 15 साल की रमन सरकार ने काम किया होता तो पार्टी की इतनी बुरी स्थिति नही होती , प्राइवेट लिमिटेड की तरह चल रही बीजेपी से कार्यकर्ता अभीभी खुश नही है , मुठ्ठी भर जनाधार विहीन नेता बैकडोर नेताओं के कारण पार्टी का कार्यकर्ता का दम घुट रहा है ,पुराने नेता 15 साल में ईडी के दायरे से ऊपर आ गए, 15 साल केवल धन इकठ्ठा करने में ज्यादा ध्यान रहा ,कार्यकर्ता और आम लोगो की तरफ देखा नही ठीक व्यवहार नहीं किया ऐसे माथुर ,शाह सरकार बनाने केलिए मेहनत कर रहे ,अरे जब कार्यकर्ता ही आपके विश्वास में नही होगा तो मन से काम कैसे करेगा ,कभी मैदान में नही दिखने वाले व्यपारी टिकट मांग रहे है इससे कार्यकर्ता और मायूस है,पार्टी के ज्यादातर विधायक निष्क्रिय है ,और इनको उम्मीद है कि फिर टिकट मिलेगी , जनता से मिलते नही व्यवहार ठीक है नही कुछ तो महिलाओं के मामले में फसे है, फिर भी टिकट चाहिए, मोदी की छवि के नाम जितना चाहते है खुद की छवि का ठिकाना नही है ,जब मोदी के नाम पर ही जितना है तो दूसरी लाइन क्या आखरी लाइन के नेता को भी टिकट बीजेपी देगी तो जीत होगी।,फिर तीन बार लड़ने वाले या पांच हजार से ज्यादा से चुनाव हारने वाले को टिकट नही देने का फैसला क्या एक बार वाले कि भी टिकट काट के बीजेपी नए चेहरे को देगी तो भी जीत पक्की है, प्रदेश बीजेपी बाकी नैया मोदी के नाम पर पार होनी है रमन के नाम पर तो 15 भी बच जाए तो बहुत है,पुराने नेताओं को अब मार्गदर्शक की भूमिका में डाल देना चाहिए, एक दो को छोड़कर,।