बिलासपुर- प्रदेश की सत्ता में पंद्रह वर्ष बैठने में बाद भाजपा विपक्ष का किरदार निभा पाने में असफल नजर आती है।सत्ताधारी दल के खिलाफ ऐसे बहुत से जनहित के मुद्दे थे जिसको लेकर जनता के बीच भाजपा जा सकती थी पर बड़े बडे मुद्दों को भुना पाने में असक्षम साबित हुई।भाजपा संगठन के नेताओ को भी बदलने की काफी चर्चा बनी थी।कार्यकर्ताओ के अंदर आज भी अपने नेताओं को लेकर नाराजगी बनी हुई है।छत्तीसगढ़ भाजपा के संगठन के नेताओ की कार्यशैली की चर्चा आजकल दिल्ली हाईकमान में बनी हुई है।केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश संगठन में बड़ा फेरबदल करने का मन अब शायद बना ही लिया है।प्रदेश भाजपा संगठन की कमजोर हालात को दुरुस्त करने के लिए बहुत जल्द राष्ट्रीय पदाधिकारी प्रदेश का दौरा करने आ सकते है।केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने दो दिन पूर्व राज्यसभा के लिए कुछ चुनिंदा लोगो का नाम चयनित की थी।छत्तीसगढ़ भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी भी अपनी लंबी छलांग लगाने की जुगत में लगे हुए थे। एक बिलासपुर संभाग के है,राजनीति में बहुत कम समय मे बहुत ज्यादा सफल रहे।नेता को अब प्रदेश की राजनीति पसंद नही आ रही है।कुछ समय पूर्व ही दिल्ली जाने का मन बना लिया था।इस काम के लिए काफी दिन से अपनी जुगत में है।इसी दिशा में नेता जी विशेष कोटे से राज्यसभा में जाने का प्लान तैयार करके लगे रहे।इसके लिए अपने संपर्क सूत्रों को साधने में लग गए।चर्चा इस बात की भी है इस मामले में प्रदेश संगठन के सर्वेसर्वा से इन्होंने अपनी मंशा जाहिर भी कर दी थी।संगठन के इस बड़े नेता के साथ ही अपने राजनैतिक व व्यवसायिक साझेदार से भी सहमति पत्र बनवाकर दिल्ली दरबार मे पार्टी अध्यक्ष तक पहुचा भी दिया।राजनैतिक हलकों में यह भी चर्चा है की डॉ रमन सिंह ने इस मामले में नेता को साफ साफ मना कर दिया था।इसके बाद भी नेताजी अपनी जिद पर अड़े रहे।और अपना सपना पूरा करने का पूरा इरादा कर लिया था।इनको यह उम्मीद थी कि वो राज्यसभा में जाने को सफल हो जाएंगे।
अंततः इस भाजपा नेता का सपना दिल्ली के नेताओ ने चकनाचूर करते हुए इनके नाम का चयन नही किया।अब इस मामले की पार्टी संगठन में चर्चा बनी हुई है।पार्टी की ओर से राज्यसभा के लिए किसी नेता के नाम की अनुशंसा करने का काम केवल दो नेताओ ने किस आधार पर कर दिया।सुनने में यह आ रहा है कि इन दोनों नेताओं पर केंद्रीय नेतृत्व नाराज है।जिस नाम की अनुशंसा इनके द्वारा की गई उसकी जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय नेता शिवप्रकाश के साथ ही डी पुरंदेश्वरी तक को नही दी गयी थी।हलकों में यह चर्चा है कि नेताजी पर पार्टी बड़ी कार्यवाही भी कर सकती है।
पार्टी के अंदर इस बात की चर्चा भी खूब है कि संगठन के इस नेता को विशेष कोटे से राज्यसभा भेजने के बजाय उप राष्ट्रपति बनने का भी पत्र भेज देना था।संगठन का मटियामेट करने का काम किस तरीक़े से किया जा रहा है।इस मामले पर पार्टी को सोचने की आवश्यकता है।इस मामले को दबाने की काफी कोशिश भी की गई पर राजनैतिक गलियारे की बाते कहा छुप पाती है।