पटवारी से वकील बनने की शिकायत का मामला, राज्य विधिक सेवा के पूर्व पदाधिकारी पर लगाया ब्लैकमेलिंग का आरोप ,पूर्व अध्यक्ष चंदेल ने बताया निरधार, बोले रिकार्डिंग है तो बताए

बिलासपुर- अधिवक्ता के विरुद्ध शिकायत खात्मा आदेश देने और सनद जारी करने के नाम पर मांगे दो लाख रुपये, फिर किये डेढ़ लाख, अंततः माने 1 लाख में।
पूर्व कर्मचारी नेता और तीन साल से हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता को किया ब्लैकमेल करते हुए कार्यवाही कराने की धमकी दी 9 फरवरी 2021 को 60,000/- रुपये ले लिये और मांगे 45,000/- हजार रुपये ।3 फरवरी से लेकर 27 फरवरी के बीच हुई आरोपियों की आडियो-वीडियो, कॉल रिकॉर्डिंग। का दावा अधिवक्ता ने किया है मामले की शिकायत – आई. जी., एस. पी. और थाना प्रभारी से की गई है
वकीलों की सबसे बड़ी नियामक संस्था होती है छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद।पूर्व कर्मचारी नेता संतोष कुमार पाण्डेय पूर्व उपप्रांताध्यक्ष एवं जिलाध्यक्ष छत्तीसगढ़ पटवारी संघ पटवारी के रूप में तहसील बिलासपुर अंतर्गत कार्यरत थे। 20 साल राजस्व विभाग में सेवा देने के बाद दिनांक 15.09.2017 को 3 माह पूर्व नोटिस देकर दिनांक 31.12.2017 से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त हो गये किन्तु इसका औपचारिक आदेश कलेक्टर बिलासपुर द्वारा जारी नहीं किया गया। इस बात की जानकारी देकर कि मेरे द्वारा विभाग में वापसी नहीं की जाएगी श्री पाण्डेय के द्वारा अधिवक्ता के रूप में पंजीयन आवेदन दिया गया जिसे नामांकन समिति के द्वारा स्वीकार कर लिया गया और दिनांक 12.08.2018 को श्री पाण्डेय को अधिवक्ता घोषित कर दिया गया। अक्टूबर 2018 से व्यवसाय प्रारंभ कर व्यवसायरत हैं कि दिनांक 16.06.2020 को किसी राजेन्द्र कुमार एवं दिनांक 21.12.2020 को उमेश बंजारे के द्वारा श्री पाण्डेय के विरुद्ध शिकायत किया गया कि श्री पाण्डेय विभाग की सेवा में बने हुए हैं एवं भत्ता प्राप्त कर रहे हैं और वकालत भी कर रहे हैं । दिनांक 21.07.2020 को नोटिस जारी किया गया जिसका जवाब 11.08. 2020 को दिया गया कि यह राजस्व विभाग की गलती है कि जब मेरे द्वारा वीआरएस ले लिया गया तो भत्ता भुगतान करने का औचित्य नहीं है बल्कि उसका समायोजन पेंशन राशि में कर देना चाहिए एवं पेंशन के रूप में राशि भुगतान करना चाहिए। यदि नोटिस अवधि में नियोक्ता द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जाता तो यह समझा जाता है कि नियोक्ता को वीआरएस स्वीकार होता हैं ऐसी स्थिति में कर्मचारी को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति का आदेश जारी करना होता है परन्तु सचिव द्वारा पुनः नोटिस 05.10.2020 को दिया गया जिसका जवाब मय दस्तावेज 13.10.2020 को दिया गया किन्तु दिनांक 10.01.2021 को सामान्य सभा में बिना जांच के भरत लोनिया, चन्द्र प्रकाश जांगड़े, प्रभाकर चंदेल, अमित कुमार वर्मा के द्वारा बिना पूर्व एजेंडा के आपराधिक षड़यंत्र कर मिलीभगत कर पाण्डेय के विरुद्ध कार्यवाही का प्रस्ताव कर दिया गया दिनांक 13.01.2021 को श्री पाण्डेय को नोटिस जारी कर दिया गया, तब उनके द्वारा सचिव से दस्तावेज का मांग किया गया जो कि दिनांक 29.01.2021 को दिया गया। चूंकि 3 दिन का समय अर्थात् 01.02.2021 तक का समय दिया गया था किन्तु इसके पूर्व ही दिनांक 30.01.2021 को अध्यक्ष चंदेल द्वारा श्री पाण्डेय के विरुद्ध कार्यवाही का आदेश जारी कर दिया गया ।

दिनांक 02.02.2021 को परिषद का अतिरिक्त कार्यकाल समाप्त होने वाला था इसलिए दिनांक 01.02.2021 को ही श्री पाण्डेय के द्वारा अपना प्रारंभिक जवाब, आवेदन वास्ते सनद जारी करने एवं अध्यक्ष का आदेश दिनांक 30.01. 2021 वापस लेने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया तब दिनांक 01.02. 2021 को अध्यक्ष चंदेल के द्वारा कार्यवाही का आदेश दिनांक 30.01. 2021 को समाप्त कर दिया गया। इसी आदेश को देने एवं सनद प्रदान करने के लिए रुपये मांगे गये और रुपये न देने पर कार्यवाही कर फंसा देने की धमकी दिया गया। दिनांक 09.02.2021 की दोपहर को 60 हजार रुपये परिषद कार्यालय में सचिव द्वारा लिया गया एवं बाद में 45 हजार रुपये और मांगे गये दिनांक 25.02.2021 को आदेश दिनांक 01. 02.2021 की फोटोकापी सचिव द्वारा पाण्डेय को दिया गया और फिर से पैसे मांगे। पैसों के लिए लगातार प्रताड़ित करने के कारण श्री पाण्डेय द्वारा दिनांक 27.02.2021 को कहा गया कि आपको जो कार्यवाही करना है कर लो मेरे 60 हजार वापस कर दो। तब सचिव के द्वारा धमकी दिया गया बत्तमीजी किया गया जिससे क्षुब्ध होकर अधिवक्ता श्री पाण्डेय द्वारा शपथ पत्र सहित शिकायत तैयार किया गया सबूत हेतु 3 फरवरी से लेकर 27 फरवरी के बीच हुई आरोपियों और श्री पाण्डेय की बीच की आडियो-वीडियो, कॉल रिकॉर्डिंग उपलब्ध है । दूसरे दिन रविवार होने के कारण दिनांक 01.03.2021 को विशेष समिति के समक्ष अधिकृत शिकायत किया गया साथ ही मुख्य न्यायाधिपति छत्तीगसढ़ उच्च न्यायालय को भी शिकायत किया गया आपराधिक कार्यवाही के लिए पृथक से थाना प्रभारी एस.पी. एवं आई.जी. को शिकायत आवेदन दिया गया है। जिस पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

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