बिलासपुर, सौ साल के संघ को आज कुछ लोगों ने सत्ता सुख का माध्यम समझा लियाहै चन्ना मुर्रा और लोगो से सहयोग लेकर संघ को खड़ा करने वाले आज भाजपा की सत्ता के समय किनारे है, पैसे वाले सत्ता के सिरहाने है , और यही लोग नए लोगों। आने नहीं दे रहे , जिन लोगों ने संघ के लिए अपनी संपति दान दे दिया आज उनको कोई सहयोग और पद नहीं है,ये सही है कि संघ सेवा कार्य केलिए जाना जाता है लेकिन सेवा का सम्मान तो होना चाहिए, संघ का लबादा ओढ़ नेता अरबपति बन गए , लेकिन संघ कमजोर हो गया, सेवा का मेवा एक ही व्यक्ति तक सीमित नहीं रहना चाहिए, संघ की नींव पर आज वर्तमान चमकदार भाजपा खड़ी है जिसमें इसमें कई साधारण कार्यकर्ता को मोदी अमित शाह ने जगह दी है नई शुरुआत हुई है , लेकिन ये लोग सेवा से नहीं व्यक्ति की परिक्रमा करके आए है, पुराना संघी तो आज भी अपनी जगह पर अपने विचारों के साथ खड़ा है, दूसरे दल से भाजपा में आए उनको मंत्री पद मिला लेकिन सेवक आज भी सेवक है भाजपा में परिक्रमा वाले नेता सेवा नहीं करना चाहते एसो आराम और पैसों के भूखे है,इनसे सामाजिक मजबूती की उम्मीद बेमानी है, इन सब से अलग संघ अपने काम।में लगा हुआ है , संघ की हालत कमजोर है एक सरस्वती। शिशु मंदिर नहीं संबल रहा , डबल इंजन की सरकार में आर्थिक संकट से जूझ रहा है जिन लोगों ने शिक्षा संघ के लिए अपनी करोड़ों की जमीन देकर सेवा का बड़ा उदाहरण पेश किया आज वो हाशिए में है जबकि भाजपा के नेता जो खाली थे संघ के लबादे से बेहिसाब संपत्ति के मालिक है, भाजपा के आज नेता जमीन दे न तो दूर दूसरे की जमीन कब्जा रहे है , कमाई करना ही इनका ध्येय है, संघ ने भी कई बातों से समझौता कर लिया है अब क्वालिटी नहीं संघ क्वांटिटी पर फोकस करता दिख रहा है ।