बिना जरूरत के परिसीमन करना सिर्फ़ शहर की जनता को परेशान करना है – शैलेश पांडेय*

*सत्ता धारी नेताओं के दबाव में किया गया है बिलासपुर का परिसीमन*

*जनसंख्या संतुलन और शासन के निर्देश का पालन नहीं हुआ है— शैलेश*

बिलासपुर नगर निगम का परिसीमन 2019 में शासन द्वारा करवाया गया था वो भी इसलिए क्योंकि नगर निगम की नयी सीमा बनी थी जिसमे कि 18 नये निकायों को जोड़ा गया था नगर निगम में।15 ग्रामीण निकायों को और 3 नगरी निकायों को जोड़ा गया था इसलिए नगर निगम की जनसंख्या B श्रेणी की बनानी थी जो कि बिलासपुर की जनता की बहुत दिनों से माँग चल रही थी और नये जोड़े गये निकायों को शहर जैसी सुविधा मिल सके।

एक बार परिसीमन हो चुका है पाँच साल पहले अब परिसीमन की जरूरत नहीं थी क्योंकि वार्ड की जनता को फिर से सीमा विभाजन और नये पार्षद और नया वार्ड के लिए परेशानी होगी और उनकी रोज़ की ज़रूरतों के लिए फिर से परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बीजेपी के नेताओं और मंत्री की शह पर दबाव बनाकर वार्डों को बीजेपी को लाभ पहुँचाने के लिए नया परिसीमन किया जा रहा है और वार्डो को बिखेर दिया गया है।जनसंख्या का भी संतुलन नहीं देखा गया है बस काट के फ़ेक दिया गया है जो की ग़लत है।

आज कांग्रेस की परिसीमन कमेटी ने नये परिसीमन को लेकर और शहर की जनता को जो परेशानी आनेवाली है उस पर विचार किया और सभी पहलुओं को समझा।बीजेपी ने आने वाले निगम चुनाव को देखते हुए लाभ की दृष्टि से परिसीमन करवाया है जिससे वार्डो का संतुलन बिगड़ गया है और विशेष रूप से जो कांग्रेस के वार्ड थे उनको उजाड़ दिया गया है।कांग्रेस अपनी रणनीति बना रही है और आनेवाले समय में इसका जवाब देगी। जनता को जो परेशानी आएगी उस के लिए कांग्रेस मज़बूत लड़ाई लड़ेगी।

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